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                     अनुभूति में 
					
					डॉ. दिनेश 
					चमोला शैलेश 
                    की रचनाएँ— 
                    दोहों में- 
					माँ 
					कविताओं में- 
					
					अनकहा दर्द 
                    
                    एक पहेली है जीवन 
                    
                    खंडहर हुआ अतीत 
                    
                    गंगा के किनारे 
                    जालिम व्यथा 
					दूधिया रात 
					धनिया की चिंता 
                    सात समुन्दर पार 
					पंखुडी 
					
                    यादें मेरे गाँव की 
                    
                    ये रास्ते 
                    
                    रहस्य 
					 
					संकलन में- 
                    पिता 
					की तस्वीर- दिव्य आलोक थे पिता 
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					दूधिया रात 
					 
					रोज ही 
					मेरे आँगन में आकर 
					पसर जाती है 
					दूधिया रात! 
					अकिंचन 
					मुझे याद हो आती है 
					उसकी 
					निश्छल, निरीह  
					दूधिया हँसी 
					जो 
					बदल देती थी 
					मेरी 
					स्याह रात को भी 
					किसी रूपहली 
					चाँदनी रात में 
					उसका 
					स्पर्श कर देता था मुझमें 
					एक 
					अजीब सी गुदगुदी 
					जो 
					हँसा दिया करती थी 
					मुझे 
					किसी बीहड एकान्त में 
					और 
					रूला भी देती थी 
					कभी यूँ ही 
					किसी घोर सन्नाटे में 
					सोचता हूँ 
					बार-बार 
					कभी स्याह रात में  
					कहाँ खो गई हो तुम!! 
					दूधिया हँसी 
					और वह 
					दूधिया रात !!!    |