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                 अनुभूति में
                मधुलता अरोरा 
                की रचनाएँ- 
                  नई रचनाओं में- 
					अकेली कहाँ हूँ? 
                  अच्छा है ये मौन हैं 
					काश मैं बच्चा होती 
					पता नहीं चलता  
					मेरे अपने 
                महिला दिवस पर विशेष 
                नारी 
        
                छंदमुक्त में- 
                अकेलापन 
                  जादूगर बसन्त 
                  झूठ तो झूठ है 
                  पत्नी  
                  मानदंड 
                  मोबाइल महिमा 
                  रिश्ते हैं ज़िंदगी 
                  वाह! क्या बात है 
                  संकलन में- 
                  दिये जलाओ- 
                  दीपोत्सव 
                  मौसम- ओ मौसम 
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                मानदंड 
                 
                
                दोस्ती के मानदंड, परिभाषा 
                कोई बता सकता है? 
                शायद नहीं 
                यह तो मात्र अहसास है 
                मात्र इक संवेदना 
                इस रिश्ते में 
                रखना होता है गुरेज 
                खुदगर्जी, छल-कपट 
                और ठंडेपन से 
                दोस्ती तो समझदारी है 
                निभ जाए तो ठीक है 
                जिसके ख्य़ाल 
                दिल में कोमलता ला दें 
                मौजूदगी का अहसास करा दें 
                यही दोस्ती का 
                खरा मानदंड है 
                अगर संवेदनशीलता 
                दोनों तरफ़ बराबर हो 
                तो ज़िंदगी 
                बऱ्फ नहीं बन जाती 
                संवेदना की ऊष्मा 
                मन को, ज़िंदगी को, 
                जीने का आधार देती है
                
                २४ जनवरी २००५  |