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                 काश 
				मैं बच्चा होती 
				 
				किसने रखा मेरा नाम दहलीज  
				कुछ पता नहीं यह राज 
				बस पता है तो इतना कि मैं हूँ घर की  
				लक्ष्मण रेखा 
				मुझे लाँघने से जुड़ी है  
				घर की इज्ज़त और हया 
				मुझे पता हैं घर के सारे भेद  
				सबके झगड़े, प्यार, मुहब्बत  
				जब छोटे बच्चे मुझे लाँघकर खेलते हैं  
				लुका-छिपी का खेल 
				दिल हो जाता है बाग-बाग  
				मचलता है बार-बार 
				काश मैं बच्चा होती  
				उन जैसी झगड़े- टंटों रहती कोसों दूर  
				उनके सपनों की दुनिया में  
				दूध-पानी सी घुल-मिल जाती 
				 
				२३ मई २०११ 
  
        
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