अनुभूति में शाहिद नदीम की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
किसी फरेब से
तसव्वुर में तेरा चेहरा
दिल दुखाता है
हर नफस को खिताब
अंजुमन में-
उसी फिजां में
देखते हैं
नस्ले-आदम
शब का सुकूत
सुनहरी धूप
का मंजर
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हर नफस को खिताब
हर नफस को खिताब
करता है
वक्त जब भी हिसाब करता है।
बर्फ को आब-आब करता है
काम यह आफताब करता है।
ज़हन में इन्तकाम का ज़ज्बा
ज़िन्दगी को अज़ाब करता है।
जिससे कायम है आबरू तेरी
क्यूं उसे बेनकाब करता है।
यह अलग बात वो नहीं शायर
गुफ्तगू लाज़वाब करता है।
जिकरे माज़ी नदीम अब पैदा
रूह में इज़तराब करता है।
७ मार्च २०११ |