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अनुभूति में शाहिद नदीम की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
किसी फरेब से
तसव्वुर में तेरा चेहरा
दिल दुखाता है
हर नफस को खिताब

अंजुमन में-
उसी फिजां में
देखते हैं
नस्ले-आदम
शब का सुकूत
सुनहरी धूप का मंजर

 

दिल दुखाता है

यूँ भी अपना नसफ बताता है
जब भी मिलता है दिल दुखाता है।

जख्म को लोग फूल कहते हैं
फूल पैरों में रोज आता है।

कितने चेहरे दिखायी देते हैं
जब कोई आईना दिखाता है।

इसको जुगनू कहूं सितारा कहूं
कुछ तो पलकों पे जगमगाता है।

लफ्ज उजले से हो गये हैं नदीम
फिर कोई शेर गुनगुनाता है।

७ मार्च २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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