| दूर से वो चाँद दूर से वो चाँद का टुकड़ा दिखाई दे गयामुस्कुराया तो लगा सारी ख़ुदाई दे गया
 
 बात करने का सलीक़ा उसका अंदाज़ेबयाँ
 आज भी शे'रो सख़न को वो ऊँचाई दे गया
 
 सुब्ह की ठंडी हवा के एक झोंके की तरह
 हर कली हर फूल को अपनी लुनाई दे गया
 
 उस भरी महफ़िल में उसकी ख़ुशमिज़ाजी के लिए
 संग दिल इंसान भी उसको बधाई दे गया
 
 मुद्दतों से आईने में ख़ुद को देखा ही नहीं
 मेरे बदले आईने में वो दिखाई दे गया
 
 ज़िन्दगी में जब कभी ठोकर लगी 'घायल' मुझे
 मेरे दिल का टूटना उसको सुनाई दे गया
 
 २ जून २०१४
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