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पूछूँ मैं भला कैसे
बरसों निभाया
शाम से उदासी
हज़ारों नेकिया

  ये जहाँ

ये जहाँ जिसके पास रहता है
वो ही अक्सर उदास रहता है

आदमी वो बुरा नहीं लेकिन
इश्क़ में बदहवास रहता है

दुश्मनों की मुझे तलाश नहीं
दिले नादाँ जो पास रहता है

सर्द रातें वो भला क्या जानें
जिनके तन पे लिबास रहता है

ज़मीं पे ढूँढ़ते रहे उसको
जो सितारों के पास रहता है

उसने दुनिया को ख़रीदा लेकिन
फि
र भी यारों उदास रहता है

३ मई २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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