| 
                   अनुभूति में 
					जयप्रकाश मिश्र की रचनाएँ- 
					नयी रचनाओं में- 
					अगर चीनी नहीं 
					कहता है तू महबूब 
					कई साँचों से 
					चिकनी मिट्टी 
                  
                  अंजुमन में- 
					आँधियों के देश में 
					कोई जड़ी मिली नहीं 
					कोई सुग्गा न कबूतर 
					गरमजोशी है लहजे में 
					मेरा यूँ जाना हुआ था 
					वफा याद आई 
					सजाना मत हमें 
					हवा खुशबू की 
                 | 
                  | 
          
                
                   
					कोई जड़ी मिली नहीं 
					 
					कोई जड़ी मिली नहीं 
					पंसारियों के पास, 
					रहने का हर कानून था बीमारियों के पास। 
					 
					पैसे नहीं थे जेब में रिश्वत के वास्ते, 
					फुसर्त नहीं थी इसलिए अधिकारियों के पास। 
					 
					स्वेटर भी तार-तार है, ऊपर से ये हवा, 
					बैठा है कोई रात में चिन्गारियों के पास। 
					 
					राजा है ऐशगाह में, जनता पड़ी बेहाल, 
					अन्याय ही अन्याय है दरबारियों के पास। 
					 
					बेटी हुई पैदा कि इज्जत कम हुई घर में, 
					माँ की खुशी बेटे की है किलकारियों के पास। 
					 
					हूँ ढूँढता जिस चीज को सालों से दर-ब-दर, 
					मिलती नहीं वो जिस्म के व्यापारियों के पास। 
					५ दिसंबर २०११  |