| सुलगती रेत पे 
                  सुलगती रेत पे रौशन सराब रख देनाउदास आँखों में खुशरंग ख़्वाब रख देना
 सदा से प्यास ही इस ज़िन्दगी का 
                  हासिल हैमेरे हिसाब में ये बेहिसाब रख देना
 वफ़ा, ख़ुलूस, मुहब्बत, सराब 
                  ख़्वाबों केहमारे नाम ये सारे अज़ाब रख देना
 सुना है चाँद की धरती पे कुछ 
                  नहीं उगतावहाँ भी गोमती, झेलम,
                  चिनाब रख देना
 क़दम क़दम पे घने कैक्टस उग आए 
                  हैंमेरी निगाह में अक्से-गुलाब रख देना
 मैं खो न जाऊँ कहीं तीरगी के 
                  जंगल मेंकिसी शज़र के तले आफ़ताब रख देना
 ८ मार्च २०१० |