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अनुभूति में सारिका कल्याण की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
तब मीरा को राम मिलेंगे
तितली अंगीठी जुगनू
तुम आना
निराधार
मीठी चवन्नी
सपने और यथार्थ

 

तब मीरा को कृष्ण मिलेंगे

मीरा :
पहरों जपती नाम तुम्हारा
हरे कृष्णा हरे गोपाला
पर ना पसीजा हृदय तुम्हारा
पत्थर सा है पर्वत का जाया
नित्य चढ़ाती, पुष्प और चन्दन
सुनो नाथ अब मेरा क्रंदन
जी को कब विश्राम मिलेगा
तन में कब तक प्राण रहेंगे
कब मीरा को कृष्ण मिलेंगे
कृष्ण :
होगा समर्पण जब प्रेम में लिपटा
जब धरा पर वृक्ष लदेंगे
बड़े–बूढ़ों का मान दिखेगा
मन में मित्रता भाव बढ़ेगा
छल कपट का त्याग होगा
नैनों में प्रेम नीर झरेंगे
जब हर प्राणी में राम दिखेंगे
तब मीरा को कृष्ण मिलेंगे

९ जनवरी २००५

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