राजेश श्रीवास्तव
१९९६ में उत्तर
प्रदेश राजकीय इंजीनियरिंग कालेज से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में
स्नातक के बाद यू एस ए में कार्यरत पर शीघ्र भारत लौटने का
कार्यक्रम।
इंजीनियरिंग कालेज में सांस्कृतिक संयोजक के रूप में भी कार्य
किया। हास्य कविताओं व लेखों में विशेष रूचि है। अभिनय और
किशोर कुमार के हास्यगीतों को प्रस्तुत करने में बड़ा आनंद
अनुभव होता है।
कालेज के बाद अत्यंत व्यस्तता के कारण साहित्य से दूर रहना पड़ा
किन्तु छह साल बाद पुनः इस दिशा में कदम रखकर कुछ करने को
उत्साहित हूँ।
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अनुभूति में राजेश
श्रीवास्तव की
रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
कविता बनाने की सनक
जीवन
हास्य व्यंग्य में—
जब उसने मुझे भइया कहा
संकलन में—
होली है–
होली
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