अनुभूति में मोहित
कटारिया की रचनाएँ-
छंदमुक्त
में-
आग
आसमाँ
एकांत
दस्तक
प्यास
परिवर्तन
मंगलसूत्र
मशाल
सत्य
संकलन में-
ज्योति पर्व– दीप जलाने वाले हैं
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दस्तक
न जाने कितने दरवाजों पे
दे चुका हूँ दस्तक मैं,
कुछ बाहर से बंद थे
और कुछ अंदर से,
कुछ किसी ने खोले नहीं
और कुछ मुझसे खुले नहीं।
हर दस्तक के बाद,
एक लम्बा–सा इंतज़ार
दिल बेचैन
और रूह बेकरार।
लेकिन,
अब तेरी पनाह में आकर लगता है
कि रूह को सुकूँ मिलेगा शायद!!
९ नवंबर २००३ |