चारों ओर अँधेरा है
हम दीप जलाने वाले हैं
सुन ए रात अमावस की
हम चाँद को लाने वाले हैं।
घनघोर अँधेरा है नभ में
सब ओर छोर भी गुम से हैं
हर मोड़ पे दीपक को रख कर
हम राह दिखाने वाले हैं।
सब तरफ छाई है हैरानी
सब के माथे पे परेशानी
आँखों में ये प्रश्न राम क्या
फिर से नहिं आने वाले हैं
ये शोर शराबा चारों ओर
तेरी दुविधा दर्शाता है
पल भर को शांत बैठ सोचो
कितनों के मुँह में निवाले हैं।
-मोहित कटारिया
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