अनुभूति में कुमार लव
की रचनाएँ-
क्रांति
नया सवेरा
बुरा जो देखन मैं चला
शून्यता
सुरक्षा
सेतु पर
हूँ शायद
|
|
नया सवेरा
खड़ी इस पुल पर
देखती हूँ
नदी को बहते,
दूर मुझसे
ले जाते हुए
वह सब
जो मेरा था
डूबते सूरज से
सुनहरी हो गई नदी,
एक पल को
उलट गया बहाव,
और आ गए तुम
रात हो गई अचानक
२४ जून २००७
|