अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में कुमार लव की रचनाएँ-

क्रांति
नया सवेरा
बुरा जो देखन मैं चला
शून्यता
सुरक्षा
सेतु पर
हूँ शायद

 

 

क्रांति?

सुबह का समय
अनिश्चितता से भरा,
सोने से पहले जैसा था
सब वैसा न रहा तो?

किसी कुस्वप्न से जागते हुए
खिड़की से बाहर देखा,
पीले फूलों से लदा पेड़
धुंध से ढँका था,
दिख नहीं रहा था

उठता हुआ
अनमना सा
सोचने लगा,
कब आज़ाद हो पाएँगे
पुरखों के पाप से?
क्या हो पाएँगे?

क्या तुम जानते हो
हम सब भी चाहते है बदलाव?
पर बिना कबूतरों को
जलते घर से
दूर भगाए
हमारा योगदान?
वह सब जो संभव है
पर अगर चंदा चाहिए
तो आगे बढ़ जाओ

२४ जून २००७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter