ज़रूरतपत्थरों के घर दे,
सोने के हरम दे,
बैर दे अगर कहीं, तो साथ मे रहम दे,
जाम दे, कलम दे, दिल को भरम दे,
जान को जिस्म हो नसीब, रूहों को बदन दे,
आँखों को नज़र दे, नज़र को शरम
दे,
मुफलिसी की रात को, चिराग़ का वहम दे,
परदेसियों की आह को, एक देस दे,
वतन दे,
भूख की राधाओं को, रोटी का किसन दे,
नींद दे ज़रा-ज़रा, ज़रा-ज़रा
कफ़न दे,
तरस तो खा बरस ज़रा, आ मौत तू जनम दे,
चाँद को शब दे, सूरज को किरन
दे,
खुदा ज़रा शरम खा, मुझे भी कुछ शरम दे
३ मार्च २००८