अंजल प्रकाश
पूर्वी भारत
के स्टील नगर जमशेदपुर में पले–बढ़े, अंजल का पालन पोषण अपने
पिता डा शिव कुमार नारायण, की देखरेख में हुआ, जो हिन्दी
साहित्य के प्राफेसर थे। बचपन में बोए गए साहित्यिक संस्कार
समय के साथ विकसित हुए।
अत्यंत अध्ययनशील अंजल ने अपनी अभिव्यक्ति को छोटे लेखों का
आकार दिया है। यहाँ दी गई कविताएँ काव्य के क्षेत्र में उनका
ताज़ा प्रयास हैं। आजकल अंजल हॉलैण्ड में भारतीय पर्यावरण से
संबंधित शोध कार्य कर रहे हैं।
ई मेल-
Anjal.Prakash@wur.nl |
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अनुभूति में
अंजल प्रकाश की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अब
मुझे नींद
आँखों का ओस
तेरी आँखें क्यों बोलती हैं
ये कैसा शहर है
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