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अनुभूति में किशन साध की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
पता करे कोई
फुर्सत ही फुर्सत है
मत पूछो
यारी रखना
सहूर की बातें

अंजुमन में-
आज मेरी बात का उत्तर
दर बदर
फलक पे दूर
संगवारी को

मुक्तक में-
अपनी पलकें नहीं भिगोते

 

फुर्सत ही फुर्सत है

मुझे फुर्सत ही फुर्सत है
मुसीबत ही मुसीबत है

उसे मेरी नहीं लेकिन
मुझे उसकी जरुरत है

लबों पर ना मगर दिल में
इज़ाज़त ही इज़ाज़त है

मेरा अपना किया है सब
मेरी जो आज हालत है

मै खुल कर रो नहीं सकता
मेरी अपनी ही आदत है

मेरे आँसू तेरा दामन
इनायत ही इनायत है

९ फरवरी २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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