अनुभूति में
किशन साध
की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
पता करे कोई
फुर्सत ही फुर्सत है
मत पूछो
यारी रखना
सहूर की बातें
अंजुमन में-
आज मेरी बात का उत्तर
दर बदर
फलक पे दूर
संगवारी को
मुक्तक में-
अपनी पलकें नहीं भिगोते |
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आज मेरी
बात का उत्तर
आज मेरी बात का उत्तर नहीं आया
क्यों तुम्हारी ओर से पत्थर नहीं आया
मयकशी के वास्ते ही बज्म में आये
प्यास थक कर सो गई सागर नहीं आया
देख कर जिसको लबों पर वाह! आ जाये
बज्म में ऐसा कोई मंजर नहीं आया
रौशनी लाने गया था सिरफिरा कोई
लौट कर वापस कभी वो घर नहीं आया
आपके पहलू से उठ कर जा रहा हूँ मैं
रुक तो जाता, क्या करूँ कह कर नहीं आया
१४ जुलाई २०१४ |