अनुभूति में त्रिलोक सिंह
ठकुरेला की रचनाएँ-
गीतों में-
गाँव
प्यास नदी की
मन का उपवन
मन-वृंदावन
सोया
शहर
नए दोहे-
यह जीवन बहुरूपिया
कुंडलियों में-
कुंडलियाँ
(अपनी अपनी अहमियत)
नए दोहे-
दोहे
हाइकु में-
हाइकु सुखद भोर
|
|
सोया शहर
भाँग खाकर
नींद के आगोश में
खोया शहर
हर तरफ
दहशत उगाती
रात आकर
पतित मन
छल-छद्म करता
मुस्कराकर
और सहसा
घोल देता हवा में
तीखा जहर
सिकुड़ जाती
आपसी सम्बन्ध की
पतली गली
नजर आती
देह भी विश्वास की
झुलसी, जली
प्रकट होती
मानवों के बीच में
चौड़ी नहर
२३ अप्रैल २०१२ |