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अनुभूति में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ-

गीतों में-
गाँव
प्यास नदी की
मन का उपवन
मन-वृंदावन

सोया शहर

नए दोहे-
यह जीवन बहुरूपिया

कुंडलियों में-
कुंडलियाँ (अपनी अपनी अहमियत)

नए दोहे-
दोहे

हाइकु में-
हाइकु सुखद भोर

 

हाइकु (सुखद भोर)

सुखद भोर
स्वप्न लिए फिरती
नव दुल्हन।

खिलते फूल
प्रकृति वधू फेंके
मधु मुस्कान।

नन्हीं कलियाँ
संचारित करतीं
सब में आशा।

नील गगन
सतरंगी आँचल
गोरी ने ओढ़ा।

वही प्रबुद्ध
जिसने जीत लिया
जीवन युद्ध।

जीवन अर्थ
सब मिल जाता है
बनो समर्थ।

काग़ज़ी घोड़े
कभी न पहुँचाते
मंज़िल तक।

साझा प्रयास
पहाड़-सी समस्या
हो जाती हल।

पावस ऋतु
सुख बरसाती है
बूँद बूँद में।

१७ अगस्त २००९

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