अनुभूति में त्रिलोक सिंह
ठकुरेला की रचनाएँ-
गीतों में-
गाँव
प्यास नदी की
मन का उपवन
मन-वृंदावन
सोया
शहर
नए दोहे-
यह जीवन बहुरूपिया
कुंडलियों में-
कुंडलियाँ
(अपनी अपनी अहमियत)
नए दोहे-
दोहे
हाइकु में-
हाइकु सुखद भोर
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प्यास नदी की
किसने देखी
कल कल ध्वनि में
प्यास नदी की
आया पथिक
अंजुरी भरकर
प्यास बुझाई
चलता बना
स्वंय का घट भर,
हे हरजाई
वापिस गया
भूल अमृत फल
खूब बदी की
सभ्य हुए तो
व्यापारी बनकर
सब हरसे
किसने सुनी
सृष्टि की धड़कन,
ताने फरसे
लिखने लगे
कहानी मिलकर
क्षुब्ध सदी की।
२३ अप्रैल २०१२ |