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अनुभूति में यश मालवीय की रचनाएँ —

गीतों में-
आश्वासन भूखे को न्यौते
कहो सदाशिव
कोई चिनगारी तो उछले
गीत फिर उठती हुई आवाज है
चेहरे भी आरी हो जाते हैं
दफ्तर से लेनी है छुट्टी
नन्हे हाथ तुम्हारे
प्रथाएँ तोड़ आए
बर्फ बर्फ दावानल
मुंबई
हम तो सिर्फ नमस्ते हैं
यात्राएँ समय की
विष बुझी हवाएँ
शब्द का सच
सिर उठाता ज्वार

संकलन में —
वर्षा मंगल – पावस के दोहे
नया साल– नयी सदी के दोहे

दोहों में —
गर्मी के दोहे

 

शब्द का सच

गीत को स्वेटर सरीखा
बुन रहा हूँ
समय की पदचाप
जैसे सुन रहा हूँ

साँस में सम्वेदना के
स्वर सजे हैं
रात गहरी है
न जाने क्या बजे हैं
अक्षरों के फूल,
क्रमशः चुन रहा हूँ

पंक्तियों में ज्यों
पिरोई है प्रतीक्षा
आँच मन की
दे रही है अग्नि–दीक्षा
पर्व का एकान्त
पल–पल गुन रहा हूँ

सोच के आकाश से
बादल हटाकर
भाव से अतिरंजना के
पल घटाकर
शब्द का सच
रूई जैसा धुन रहा हूँ

९ जुलाई २००१

 

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