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अनुभूति में यश मालवीय की रचनाएँ —

गीतों में-
आश्वासन भूखे को न्यौते
कहो सदाशिव
कोई चिनगारी तो उछले
गीत फिर उठती हुई आवाज है
चेहरे भी आरी हो जाते हैं
दफ्तर से लेनी है छुट्टी
नन्हे हाथ तुम्हारे
प्रथाएँ तोड़ आये
बर्फ बर्फ दावानल
मुंबई
हम तो सिर्फ नमस्ते हैं
यात्राएँ समय की
विष बुझी हवाएँ
शब्द का सच
सिर उठाता ज्वार

संकलन में —
वर्षा मंगल – पावस के दोहे
नया साल– नयी सदी के दोहे

दोहों में —
गर्मी के दोहे

  दफ़्तर से लेनी है छुट्टी

दफ़्तर से लेनी है छुट्टी
कुछ तो जी लें बिला वजह

सुबह देर से
सो कर जागें
सूरज के साथ
नहीं भागें
कोई अच्छी पुस्तक पढ़ लें
फ़ाइल की भूलकर कलह

घड़ी–घड़ी
चाय पियें ताजी
सारा दिन
केवल गपबाजी
जमुहायें आलस में भरकर
बेमतलब की करें जिरह

मिले पुरानी
कोई चिठ्ठी
मुन्ने की
मीठी सी मिठ्ठी
नेह तुम्हारा क्षण–क्षण बरसे
सावन के मेघ की तरह

सुबह देर से
सो कर जागें
सूरज के साथ
नहीं भागें
कोई अच्छी पुस्तक पढ़ लें
फ़ाइल की भूलकर कलह

बिखरायें
तिनकों पर तिनके
खुश हो लें
बार–बार बिन के
चादर से एक सूत खींचे
पास–पास लगायें गिरह

कुछ आड़ी तिरछी
रेखाएँ
कागज़ पर
खिचाएँ–मिटाएँ
होठों से होठों पर लिख दें
फुर्सत है साँझ औ' सुबह

१६ फरवरी २००५

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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