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अनुभूति में वेद प्रकाश शर्मा 'वेद' की रचनाएँ-

नए गीतों में-
आँख में नींद नहीं
कुछ तो कहो
डर लग रहा है

मत पूछो क्या किया
लेखनी ने आज

गीतों में-
जयगाथा
विडंबना

 

 

  मत पूछो क्या किया

चलो आज हो गए
हाथ पीले बेटी के
मत पूछो, क्या किया
और क्या नहीं किया!

कालर पलट, बदलकर
बाँहें आधी करके
हर कमीज़ ने अपनी
पूरी उमर बिताई
कितनी बार रफू होकर
खुलकर, फिर भिंचकर
पतलूनों ने खूब
कमर के साथ निभाई

हर जूता मोची के संग
भरपूर जिया!

महँगाई भत्ते का
घोषित हुआ एऱियर
ओवर-टाइम का वर
लिए तपेदिक-काया
आस बाँधती जब
रजाइयाँ भरवाने की
बेटी का कद
दो दहेज-धोती ले आया

हर गणना ने
यों गड़बड़ का
घूँट पिया!

२ नवंबर २००९

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