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अनुभूति में वेद प्रकाश शर्मा 'वेद' की रचनाएँ-

नए गीतों में-
आँख में नींद नहीं
कुछ तो कहो
डर लग रहा है

मत पूछो क्या किया
लेखनी ने आज

गीतों में-
जयगाथा
विडंबना

 

जय गाथा

दसों दिशा में अनुनादित हूँ!

महिमा-मंडित पाखंडों से
कृष्ण-भुजंगी हथकंडों से
राजस तावीज़ों गंडों से
सत्ता-सीढ़ी के डंडों से

हाथ मिलाकर
साथ निभाकर
प्रासादों तक सम्मानित हूँ!

घोर गिरगिटी आवरणों को
और सियारी आचरणों को
मारिची-सीता-हरणों को
श्रीपथ-अनुगामी चरणों को

शीश नवाकर
मीत बनाकर
उच्च-शिखर पर शोभान्वित हूँ!

शब्दों का व्यापार बनाकर
गीतों का बाज़ार सजाकर
सुर-लय में आवाज़ लगाकर
गीत मौसमी रंग के गाकर

भीड़ जुटाकर
मन बहलाकर
कीर्ति-गान में अनुवादित हूँ!

16 दिसंबर 2003

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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