अनुभूति में
सुरेश कुमार पांडा
की रचनाएँ-
नये गीतों में-
अपने मन का हो लें
अस्तित्व
तुम्हारे एक आने से
धूप में
फिर बिछलती साँझ में
गीतों में-
आज समझ आया है होना
भूल चुके हैं |
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तुम्हारे एक आने
से
गुन गुनी धूप सा मन
चटख पीला फूल सरसों का
तुम्हारे एक आने से
सहज ही खुल गई आँखें
उनिन्दी रतजगा
करती उमंगों का
अधर ने पा लिया है
विजन वन में शहद का एक ठाँव
निरामिष गंध के झरने चले अनगढ़,
हठीले पाँव
उजालों ने है की गिनती सितारों से
नहायी चाँदनी की छाँव में
आँसू बहाती
सर्द रातों का
तुम्हारे एक आने से
उखड़ती साँस ने थामा है दामन
नील नभ में केलि रत
स्वच्छंद विहगों का
२ फरवरी २०१५
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