अनुभूति में
सुरेश कुमार पांडा
की रचनाएँ-
नये गीतों में-
अपने मन का हो लें
अस्तित्व
तुम्हारे एक आने से
धूप में
फिर बिछलती साँझ में
गीतों में-
आज समझ आया है होना
भूल चुके हैं |
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अस्तित्व
आज तेरी याद
फिर गहरा गयी है
नापकर
पग थक गये है पंथ सारे
पर न पाया पहुँच अब तक मैं किनारे
दूर क्षितिज पर समोज्वल रश्मियाँ भी़
लक्ष्य बनकर पुन: मन
भरमा गयी हैं
डूबती हर साँस
बन अंतिम इकाई
फिर नई संभावना विश्वास पाई
फिर हृदय ने दृढ किये संकल्प सारे
आस की नव लहरियाँ
सहरा गई हैं
पा लिया है आज मन तेरा ठिकाना
प्रेम परिचय क्या नया कैसा पुराना
मनस के मृदु व्दार पर चित्रित स्वयं
अस्तित्व का नव बोध फिर दुहरा गई है
आज तेरी याद फिर
गहरा गयी है
२ फरवरी २०१५
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