अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शुभम श्रीवास्तव ओम की रचनाएँ-

गीतों में—
उदास घड़ी
कोई मुझमें
निर्वासन
फिर उठेगा शोर एक दिन
बेचैन उत्तरकाल
 


 

 

कोई मुझमें

कोई मुझमें-
मुझसे भी ज्यादा रहता है
मन में उगते-
सन्नाटों के
पंख कुतरता है।

कहा-अनकहा सब सुन लेता है
वह चेहरे की भाषा पढ़ता है
दबे पाँव ढलकर दिनचर्या में
रिश्तों की परिभाषा गढ़ता है

कोई है जो-
जीवन की
उल्टी धारा से
लड़ता
लेकर पार उतरता है।

आँगन में दाने फैलाता है
नये परों को पास बुलाता है
ठिगनेपन का दर्द समझता है
बूढ़े पेड़ों से बतियाता है

कोई
खुशबू जैसा छाता है
मेंहदी जैसा-
रंग निथरता है।

अधजीये काग़ज़ सरियाता है
खुली नोक पर कैप लगाता है
एक हथेली भर ताज़ी गर्माहट
कठुआये दिन में लौटाता है

कोई है जो-
मन में
कुछ पल को धुँधलाकर
अगले पल
कुछ और उभरता है।

१ नवंबर २०१७

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter