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अनुभूति में श्रीधर आचार्य शील की रचनाएँ-

अंजुमन में-
क्या जमाना आ गया है
झरने लगे हैं
नफरत के जो भाव भरे हैं
मेरे जीवन की बगिया
रात खड़ी है

गीतों में-
इक छोटा सा अंतराल
कुछ दिन बीते
तुमने कर दिया सही
यह कैसा अनुबंध
 

इक छोटा-सा अंतराल

इक छोटा-सा अंतराल था
आना नहीं हुआ

सबकी बातें अपनी-अपनी
क्या लेना क्या देना
किस्सा-किस्सा तोता मैना
कोई इसे सुने ना
कोयलिया का अमराई में
गाना नहीं हुआ

है बबूल पर तेवर देखो
होता आग बबूला
मौका पाकर लोगों ने ही
जमकर इसे वसूला
इधर-उधर की बातें सुनकर
जाना नहीं हुआ

इस डाली से उस डाली तक
सभी दीवाने अपने धुन के
कूद-फाँदकर भाग रहे हैं
थोड़ी-सी ही हलचल सुन के
भरी दुपहरी में पत्तों का
लहराना नहीं हुआ

१ फरवरी २०१८

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