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अनुभूति में शैलेन्द्र शर्मा की रचनाएँ-

गीतों में-
खुली फेसबुक हुई दोस्ती
दस रुपये की कठपुतली है
प्रेक्षारानी सुनो कहानी

बाज़ार है बाबा
रामजियावन बाँच रहे हैं

 

प्रेक्षारानी सुनो कहानी

प्रेक्षारानी सुनो कहानी
आने वाले कलकी

वन सिमटेंगे उपवन में
उपवन फिर क्यारी में
मिला करेगी प्राणवायु
कालाबाज़ारी में
आजायबघर में दिखा करेगी
लकड़ी संदल की

सेतु और तटबंध रहेंगे
नदी नहीं होगी
तन-मन से सब रोगी होंगे
भोगी क्या जोगी
खून से बढ़ कर बेशक ज्यादा
कीमत होगी जल की

धड तो होगा मानुस का
पर सिर होगा पशु का
ताली बजा करेंगे स्वागत
परखनली शिशु का
कीमत पर दो टके न होगी
बहते काजल की

वेलेन्टइन-डे के आगे
जश्न सभी फीके
नाचेंगी विकृतियाँ सिर चढ़
रम-ह्विस्की पी के
याद किसे फिर रह जायेगी
खिचडी पोंगल की।

२२ सितंबर २०१४

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