अनुभूति में
सीमा अग्रवाल की रचनाएँ
गीतों में-
एक बचपन नीम तुम पर
खुशबुओं के पा संदेशे
बहुत पुराना खत
हर तरफ हैं रंग
है कहाँ तनहा सफर मेरा |
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एक बचपन नीम तुम
पर
सौंप चंचल
पंखियों सा एक बचपन नीम तुम पर
खुशबुएँ निम्बोलियो की संग अपने ले गयी थी
जब गयी इस ठाँव से मैं
दूर अपने गाँव से मैं
मौन थे हम
पर मुखर होता गया था विगत हर पल
कर गया था दृश्य हर ओझल चमकती आँख का जल
रिस रही थी नेह की हर बूँद मेरी अंजुरी से
धूप ओढ़े जा रही थी दूर
शीतल छाँव से मैं
झूलता था
बालपन मेरा तुम्हारी बाँह में जब
कल्पनाओं के परिंदे नाचते थे आँख में तब
चूम लेती थी निडर हो सूर्य को इक पींग में ही
खोलती थी रंग सारे इन्द्रधनुषी
पाँव से मैं
थे नहीं
बस वृक्ष तुम मेरे लिए तो पितृवत थे
मेरे तन मन की व्यथा की हर कथा की खैरियत थे
रौंद दी छाया घनेरी प्रगति रथ की तीव्र गति ने
हार बैठी एक अपना लालसा के
दाँव से मैं
७ अक्तूबर २०१३ |