अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सीमा अग्रवाल की रचनाएँ

गीतों में-
एक बचपन नीम तुम पर
खुशबुओं के पा संदेशे
बहुत पुराना खत
हर तरफ हैं रंग
है कहाँ तनहा सफर मेरा

 

है कहाँ तनहा सफर

मन हँसा रोया है जब भी
साथ मेरे यों लगा
है कहाँ तन्हा सफ़र मेरा

वक्त की धारा बहे जिस तौर
बहना ही पड़ेगा
जानती हूँ
धूप, बारिश, आँधियाँ तूफ़ान
सहना ही पड़ेगा
मानती हूँ

थक चुकी सी देह ने है किन्तु
जब भी हार मानी
मन लड़ा बढ़ कर समर मेरा

मन चले जिस ओर चल दूँ मैं उधर ही
क्या कभी ये भी
हुआ है
मन लिखे जो मैं पढूँ और वो करूँ भी
माँगी कब
ऐसी दुआ है

फिर भी मुरझाई लगी यदि
धैर्य की धरती कभी
मन ने सींचा हर पहर मेरा

७ अक्तूबर २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter