अनुभूति में
सीमा अग्रवाल की रचनाएँ
गीतों में-
एक बचपन नीम तुम पर
खुशबुओं के पा संदेशे
बहुत पुराना खत
हर तरफ हैं रंग
है कहाँ तनहा सफर मेरा |
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है कहाँ तनहा
सफर मन हँसा
रोया है जब भी
साथ मेरे यों लगा
है कहाँ तन्हा सफ़र मेरा
वक्त की धारा बहे जिस तौर
बहना ही पड़ेगा
जानती हूँ
धूप, बारिश, आँधियाँ तूफ़ान
सहना ही पड़ेगा
मानती हूँ
थक चुकी सी देह ने है किन्तु
जब भी हार मानी
मन लड़ा बढ़ कर समर मेरा
मन चले जिस ओर चल दूँ मैं उधर ही
क्या कभी ये भी
हुआ है
मन लिखे जो मैं पढूँ और वो करूँ भी
माँगी कब
ऐसी दुआ है
फिर भी मुरझाई लगी यदि
धैर्य की धरती कभी
मन ने सींचा हर पहर मेरा
७ अक्तूबर २०१३ |