अनुभूति में
सीमा अग्रवाल की रचनाएँ
गीतों में-
एक बचपन नीम तुम पर
खुशबुओं के पा संदेशे
बहुत पुराना खत
हर तरफ हैं रंग
है कहाँ तनहा सफर मेरा |
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खुशबुओं से
पा संदेशे
खुशबुओं से
पा संदेशे मौसमी आभास के
लो भिगो ली रंग में हमने कलम
उल्लास के
क्या गलत और क्या सही की सारी
पूँजी
बंद कर अलमारियों में, जेब में
भर लीं फक़त
कुछ मस्तियों की कौडियाँ
खोल दी बंधक बनी जकड़ी हुयी
माथे की हर बेचैन सिलवट और उड़ा
दीं ऊबते
किस्सों की सारी चिन्दियाँ
ताक पर रख कर नियम और कायदों की
हर हिदायत छा गये हर ओर बादल
अब सघन परिहास के
ढाँक कर मुस्कान के परदों के
पीछे
भीत को मायूसियों की बो दिए
अहसास फागुन के
हरेक अवसाद पर
बाँध आँचल में गुलाबी, लाल,
पीले क्षण
मधुर मीठे सुहाने गा चले दिन
झूम कर फिर
ढोलकों की नाद पर
जी उठा जीवन उड़ा बेख़ौफ़ पहने
फाग के पर कुछ पलों को ही सही
पल कट गए संत्रास के
७ अक्तूबर २०१३ |