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अनुभूति में राणा प्रताप सिंह की रचनाएँ -

अंजुमन में-
एक टूटे तार की
तुमने जब कुछ बात कही थी

बड़ी मेहनत से
मैं भीतर से
सुल्तान जो अपना है

गीतों में-
अनगढ़ मन
आई है वर्षा ऋतु
नया कोई गीत ले
रीत रही है प्रतिपल

 

तुमने जब कुछ बात कही थी

तुमने जब कुछ बात कही थी चुपके से
तबसे दिन संग रात गई थी चुपके से

अश्कों के दरिया में सारी सारी रात
अरमानों की देह बही थी चुपके से

फूल खिले हैं आँगन की क्यारी में फिर
मेरे घर बरसात हुई थी चुपके से

भूखा बच्चा इन्तिज़ार करता सोया
चाँद ने शायद छुट्टी ली थी चुपके से

खूब दुश्मनी दोनों घर में थी लेकिन
थोड़ी सी आवाजाही थी चुपके से

२३ सितंबर २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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