तुमने जब कुछ बात कही थी
तुमने जब कुछ
बात कही थी चुपके से
तबसे दिन संग रात गई थी चुपके से
अश्कों के दरिया में सारी सारी रात
अरमानों की देह बही थी चुपके से
फूल खिले हैं आँगन की क्यारी में फिर
मेरे घर बरसात हुई थी चुपके से
भूखा बच्चा इन्तिज़ार करता सोया
चाँद ने शायद छुट्टी ली थी चुपके से
खूब दुश्मनी दोनों घर में थी लेकिन
थोड़ी सी आवाजाही थी चुपके से
२३ सितंबर २०१३
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