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एक टूटे तार की
एक टूटे तार की
झंकार बनकर देखिये
गम तो देते हैं सभी गम़ख्व़ार बनकर देखिये
जो लहू तक दे सके, माँगे कोई लाचार जब
हो सके तो ऐसा ही दिलदार बनकर देखिये
थक चुके जो काट कर जीवन का ये लम्बा सफ़र
उन लरज़ते पाँवों की रफ़्तार बनकर देखिये
हो न जिसमें क़त्ल की, दंगों, धमाकों की खबर
ऐसा इक नायाब सा अख़बार बनकर देखिये
काट दे जो अंधविश्वासों के दानव का गला
ऐसी ही पैनी सी इक तलवार बनकर देखिये
दूसरों के घर में जो अक्सर जलाते हैं चराग
उनके घर में दीप का त्यौहार बनकर देखिये
जिसके शौहर ने चुना हो घर से पहले मुल्क को
ऐसी ही बेवा का इक श्रृंगार बनकर देखिये
आपके इस मुल्क में घुस जायेगा कैसे कसाब
नींद को अब तोड़िये बेदार बनकर देखिये
२३ सितंबर २०१३
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