आह्लाद कहाँ है
किया-धरा
कुछ नहीं किंतु सब
शेख़ी रहे बघार
बड़ा ही अद्भुत है संसार
सिमटे सब अपने में निशि-दिन
करते रहते ताक-धिना-धिन
अलग राग बजता ढपली पर
बातों में ही बीता जीवन
लुटा न पाए प्यार
बड़ा ही अद्भुत है संसार
अपने हुए दूर जीवन से
तने रहे वे तन से मन से
दया-धरम का मोल न जाना
रहे चाहते वे कण-कण से
हरदम बस अधिकार
बड़ा ही अद्भुत है संसार
१ अक्तूबर २०१६
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