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अनुभूति में पुष्पेन्द्र शरण पुष्प की रचनाएँ-

गीतों में-
अर्थ लगाकर
आज हवाओं का
जबसे मैंने होश संभाला
जीवन में
बहके कदमों से जंगल में

अर्थ लगाकर

अर्थ लगाकर
नए शब्द का ये कर लेंगे दोहन।
परिभाषा में करने बैठे हैं फिर से संशोधन।

स्थाई भावों को
बदला आदि का अंत किया है।
त्याग दिया कर्तव्यों को अधिकार
अनंत लिया है।
लगता अबके इस
चौराहे पे रक्खेंगे गोधन।

नित-नित नयी
आस्था का परिधान वरण करते हैं।
सुघड़ भावना का छल बल से चीरहरण
करते हैं।
विवश कामना किसे
पुकारेगी अपना मनमोहन।

सूरज के आगे
पीछे यदि राहू मंड़राएगा।
दिन में होगी रात, रात में चंदा
भय खाएगा।
करना होगा अब केतु की
राहों का अवरोधन।

अर्थ लगाकर
नए शब्द का ये कर लेंगे दोहन।
परिभाषा में करने बैठे हैं फिर से संशोधन।

१६ नवंबर २००५

 

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