अनुभूति में
डॉ. प्राची
की रचनाएँ—
गीतों में—
अरी जिंदगी
चलो अब अलविदा कह दें
जश्न-सा तुझको मनाऊँ
पूछता है प्रश्न
माही मुझे चुरा ले मुझसे |
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माही मुझे चुरा ले मुझसे
माही मुझे चुरा ले मुझसे
मेरी प्याली खाली कर दे
रम जा या फिर मुझमे ऐसे
छलके प्याली इतना भर दे
मैं बदरी तू फैला अम्बर
मैं नदिया तू मेरा सागर,
बूँद-बूँद कर प्यास बुझा दे
रीती अब तक मन की गागर
लहर-लहर तुझमें मिल जाऊँ
अपनी लय भीतर-बाहर दे
शब्द तू ही मैं केवल आखर
तू तरंग, मैं हूँ केवल स्वर,
रोम-रोम कर झंकृत ऐसे
तेरी ध्वनि से गूँजे अंतर,
माही दिल में मुझे बसा कर
कण-कण आज तरंगित कर दे
बोले अब ये दिल की तड़पन
तोड़ूँ सारे झूठे बंधन
भीगूँ यूँ तेरी बारिश में
जी लूँ मैं पतझड़ में सावन
मुझको साकी गले लगा ले
वरना आ अब मुझे ज़हर दे
दरस तेरा मन कैसे पाए
राह बता जो तुझ तक लाए
तुझ तक पहुँचे मेरी तड़पन
खुद तू ही मिलने आ जाए
हर मंज़र में तुझको पाऊँ
मुझको साकी वही नज़र दे
१ मई २०२२ |