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अनुभूति में ओम निश्चल की रचनाएँ-

गीतों में-
गुनगुनी धूप है
छुआ मुझे तुमने रूमाल की तरह
जब हवा सीटियाँ बजाती है
नदी का छोर
यह वेला शाम की
लिख रहे हैं लोग कविताएँ
संबंधों की अलगनियों पर

`

यह वेला शाम की

पूजन आराधन की
अर्चन नीराजन की
स्वस्तिपूर्ण जीवन के
सुखमय आवाहन की
यह वेला सपनों के
मोहक विश्राम की
यह वेला शाम की

यह वेला जीत की
यह वेला हार की
यह वेला शब्दों के
नख-शिख शृंगार की
दिन भर की मेहनत के
बेहतर परिणाम की
यह वेला शाम की

यह वेला गीत की
यह वेला छंद की,
मौसम के नए नए
फूलों के गंध की
और थके-हारों के
किंचित आराम की
यह वेला शाम की

यह वेला नृत्य की
संस्कृति साहित्य की
कोमल बतकहियों की
सर्जन-सामर्थ्य की
मित्रों के संग बैठे--
टकराते जाम की।
यह वेला शाम की

यह वेला मिलने की
संग-साथ जुड़ने की,
हाथो में हाथ लिए
आजीवन रमने की
चितवन के नए नए
खुलते आयाम की
यह वेला शाम की

यह वेला प्यार की
अथक इंतजार की,
प्राणों से प्राणों के
उत्कट अभिसार की
यह घड़ी मोहब्बत के
हक़ के पैग़ाम की
यह वेला शाम की  

९ जनवरी २०१२

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