अनुभूति में
ओम
निश्चल
की रचनाएँ-
गीतों में-
गुनगुनी धूप है
छुआ मुझे तुमने रूमाल की तरह
जब हवा सीटियाँ बजाती है
नदी
का छोर
यह वेला शाम की
लिख रहे हैं लोग कविताएँ
संबंधों की अलगनियों पर
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छुआ मुझे तुमने
रूमाल की तरह
थके हुए काँधे पर
भाल की तरह,
छुआ मुझे तुमने रूमाल की तरह
फिर चंचल चैत की
हवाएँ बहकीं,
कुम्हलाए मन की
फुलबगिया महकी
उमड़ उठा अंतर शैवाल की तरह
बीत गए दिन उन्मन
बतकहियों के
लौटे फिर पल
कोमल गलबहियों के
हो आया मन नदिया-ताल की तरह
बहुत दिन हुए
तुमसे कुछ कहे हुए
सुख-दुख की संगत में
यों रहे हुए
बोले-बतियाए चौपाल की तरह
९ जनवरी
२०१२ |