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अनुभूति में ओम निश्चल की रचनाएँ-

गीतों में-
गुनगुनी धूप है
छुआ मुझे तुमने रूमाल की तरह
जब हवा सीटियाँ बजाती है
नदी का छोर
यह वेला शाम की
लिख रहे हैं लोग कविताएँ
संबंधों की अलगनियों पर

`

लिख रहे हैं लोग कविताएँ

भर गया
तेज़ाब-सा कोई
ख़ुशनुमा माहौल में आकर

नींद में
हर वक़्त चुभता है
आँधियों का शोर- सन्नाटा
कटघरों में ज्यों- पड़े सोए
क़ैदियों की पीठ पर चाँटा
तैरता
दु:स्वप्न-सा हर दृश्य
पुतलियों के ताल में अक्सर

सड़क पर
मुस्तैद संगीनें--
बंद अपने ही घरों में हम
आदमी की शक़्ल में क़ातिल
कौन पहचाने किसी का ग़म
हर गली
हर मोड़ पर बैठी
मौत अपनी बाँहे फैला कर

बर्फ-सा
जमता हुआ हर शख़्स
चुप्पियों में क़ैद हैं साँसें
समय की नंगी सलीबों पर
गले में अँटकी हुई फाँसें
लिख रहे हैं
लोग कविताएँ
नींद की फिर गोलियाँ खाकर 

९ जनवरी २०१२

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