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अनुभूति में मरुधर मृदुल की रचनाएँ-

गीतों में-
जब यह होगा, गीत लिखूँगा।
डर
धरती की बाँहें

मन में जाने
हम

  जब यह होगा, गीत लिखूँगा

साँझ-सकारे सहज सहेजूँ,
दिशा-दिशा में इसको भेजूँ,
नाम सभी के प्रीत लिखूँगा,
जब यह होगा, गीत लिखूँगा।

सब के सुख-दुःख होंगे अपने,
अपने होंगे सबके सपने,
तब ही आशातीत लिखूँगा,
जब यह होगा, गीत लिखूँगा।

औरों के बूझे सा बूझा,
औरों के सूझे से सूझा,
अब अपनी परतीत लिखूँगा,
जब यह होगा, गीत लिखूँगा।

मन में गूँजे धरती से नभ,
सुलझे उलझे दुर्लभ-दुर्लभ,
हर अलभ्य पर जीत लिखूँगा,
जब यह होगा गीत लिखूँगा।

फूलों जैसे अर्थ खिलेंगे
मुझको शब्द समर्थ मिलेंगे,
अपने से अतीत दिखूँगा,
जब यह होगा, गीत लिखूँगा।

सच कितना ही गूढ विरल हो,
कह पाना जब सहज सरल हो,
कंठों में संगीत लिखूँगा,
जब यह होगा, गीत लिखूँगा।

२४ मार्च २०१४

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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