प्रश्नपत्र जीवन
के
प्रश्न-पत्र जीवन के
कैसे हल होंगे अब
प्रथम प्रश्न ही समय ने
अनिवार्य कर दिया
वंश को बढ़ाने का प्रश्न गौण हुआ
आज
शिक्षा के खर्च का ही प्रश्न प्रमुख हो गया
सिर पर हो छत अपने, प्रश्न बना अपना घर
भूख के मिटाने पर, टिप्पणी न लिख सका
और वस्तुनिष्ठ प्रश्न में नहीं
सही विकल्प
जानते न जानते
उत्तर बस भर दिया
एकाकी बन सोचा था कि जोड़ पाऊँगा
मैं
बाकी न बचा कुछ सब सिफर हो गया
अर्थ के ही गुणा भाग में लगा रहा यार
हाथ में लकीरों के सिवा कुछ न रह गया
उत्तर पुस्तिका भी
रही मेरी खाली खाली ही
प्रश्नों को पढ़ पढ़कर
कातर मन कर दिया
१७ दिसंबर २०१२ |