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अनुभूति-में-डॉ.-मुकेश-श्रीवास्तव-अनुरागी की रचनाएँ-

गीतों में-
आ गई धूप
कौन सुनेगा

नहीं मरेगा गीत
प्रश्नपत्र जीवन के
मन की मौज में

 

आ गई धूप

बिना कहे चुपचाप आ गयी
ड्रॉइंग रूम में धूप !
रंग सुनहरा, पतली काया
और गुनगुना रूप !

ठिुठुरे-ठिठुरे हाथ-पैर हैं
साँसें भी ठण्डी,
तेज़ हवा के झौंके मचलें
कोहरे की मण्डी.
अंग-अंग में
सिहरन सरसे
नदी किनारे कूप !

बिना कहे चुपचाप आ गयी
ड्रॉइंग रूम में धूप !

नन्ही गौरैया भी फुदके
फुनगी पर पेड़ों के,
डरकर पीले खेत हो गये
बदले रंग मेड़ों के.
थर-थर काँपे
सरसों-गेहूँ
बना बाजरा भूप !

बिना कहे चुपचाप आ गयी
ड्रॉइंग रूम में धूप !

रोज़ तमकना
गुस्सा खाना भी, काफूर हुआ,
जल्दी घर को लौट पड़े
ज्यों घर भी दूर हुआ.
कैसे फटके
किरनें अम्मा ?
घर का टूटा सूप !

बिना कहे चुपचाप आ गयी
ड्रॉइंग रूम में धूप !

१७ दिसंबर २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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