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अनुभूति-में-डॉ.-मुकेश-श्रीवास्तव-अनुरागी की रचनाएँ-

गीतों में-
आ गई धूप
कौन सुनेगा

नहीं मरेगा गीत
प्रश्नपत्र जीवन के
मन की मौज में

 

नहीं मरेगा गीत

अपने उर में थामे बैठा
नयी-पुरानी रीत,
कितना भी झुठलाओ भैया
नहीं मरेगा गीत !

गीत कि जिसमें
होती लय है,
जीवन जीना
और अभय है.
बन्धन को भी झंकृत करता
करे सभी से प्रीत !

नया-पुराना, रोना-गाना,
कभी रूठना, कभी मनाना.
लेकिन सुर से पूजित तन-मन
जीवन का संगीत !
कभी वेद की रही ऋचा है
कभी पूर्ण है, कभी बचा है.
लेकिन सबसें रचा-बसा है
सुख का, दुःख का मीत !

कितना भी झुठलाओ भैया
नहीं मरेगा गीत !

१७ दिसंबर २०१२

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