अनुभूति में
कल्पना मनोरमा 'कल्प'
की रचनाएँ-
गीतों में-
दीपक को तम में
बादल आया गाँव में
बोल दिये कानों में
मत बाँधो दरिया का पानी
मन से मन का मिलना
संकलन
में-
देवदार-
देवदार के झरोखे से
रक्षाबंधन-
रीत प्रीत की
शिरीष-
वन शिरीष मुस्काए
शुभ दीपावली-
दीप बहारों के
होली है-
चलो वसंत मनाएँ |
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मन से मन मिलना
मन से
मन मिलना अब
सबसे मुश्किल है
अपनों से चोरी रखते
गैरों से मिलते
भेद-भाव की खेती कर
हैं उगते-खिलते
दिल से दिल मिलना अब
सबसे मुश्किल है
मूक बधिर की सेना है
लड़ने को तत्पर
दिवस हुआ बेचैन मौन
साधे है दिनकर
सुख से सुख लिखना अब
सबसे मुश्किल है
गुणवत्ता खोई भाती
है लीपा-पोती
खरी-खरी सुनने में हैं
आशायें रोती
सूरज -सा दिखना अब
सबसे मुश्किल है
१ नवंबर २०१६
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