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अनुभूति में कल्पना मनोरमा 'कल्प' की रचनाएँ-

गीतों में-
दीपक को तम में
बादल आया गाँव में
बोल दिये कानों में
मत बाँधो दरिया का पानी
मन से मन का मिलना

संकलन में-
देवदार- देवदार के झरोखे से
रक्षाबंधन- रीत प्रीत की
शिरीष- वन शिरीष मुस्काए

शुभ दीपावली- दीप बहारों के
होली है- चलो वसंत मनाएँ

 

बोल दिये कानों में


बोल दिये कानों में
किसी ने सुबोल
यादों के सिहर उठे
मरमरी कपोल

फूल गई सिरहाने
चम्पा की डाल
रस धोई कलियों ने
पहनाई माल

चाँद हँसा हौले से
नयनों को खोल

साँस-साँस चंदन था
छुअन में सरोज
पवन के झकोरों-सा
बासंती ओज

विहँस रही रजनी यों
शबनम को घोल

समय लिये अंजुरी में
पुलकन भरपूर
सपनों की तुरपन में
रेशम-सा नूर

समझ गई कोयलिया
सरगम की पोल

१ नवंबर २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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