अनुभूति में
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
की रचनाएँ-
गीतों में-
आधार
कुछ ठहर ले और
मेरी जिंदगी
जरा ठहरो
तुम ही जानो
बसंत का गीत
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बसंत का गीत
कोयल ने बाँची जो केसरिया पाती
गूँज उठी सुधियों के
आँगन शहनाई
भोर ने उतारी कुहासे की शाल
किंशुक कपोलों पे मलता गुलाल
सरसों ने खोले हैं अपने किवाड़
भर लाया गुलमोहर
कुमकुम के थाल
मौसम की साँस अब महकी गरमाई
लिखता शिरीष आज खुशबू के गीत
मन की अमराई में बौराई प्रीत
ठूँठ हुए अंतर में पल्लव से पीके हैं
सीख रही उम्मीदें
कचनारी रीत
रातों ने छोड़ी है बोझिल रजाई
१ जुलाई २०२२
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