अनुभूति में
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
की रचनाएँ-
गीतों में-
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कुछ ठहर ले और
मेरी जिंदगी
जरा ठहरो
तुम ही जानो
बसंत का गीत
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कुछ ठहर ले और
मेरी जिंदगी
कहीं तो कोई पुकारेगा हमें
कुछ ठहर ले और मेरी जिंदगी
कुछ सँवर ले
और मेरी जिंदगी
बोझ ढोते सफर कितना तय किया
भूल जा सब, क्या मिला है क्या दिया
याद रखने को बहुत है एक पल
जो मधुर एहसास में तूने जिया
स्वप्न, संभ्रम आस में विश्वास में
कुछ बहल ले
और मेरी जिंदगी
फ़िक्र क्या है
हो ना हो चाहे सवेरा
अजनबी है, इसलिए बोझिल अंधेरा
हौसला रखना पड़ेगा कुछ तुझे
और कुछ देंगी हवाएँ साथ तेरा
हार कर यों लौट जाना बुजदिली है
सोच, कर ले
गौर मेरी जिंदगी
दर्द को मत
बाँट यों मायूस होकर
यह मिला उम्मीद और अपनत्व खोकर
चुभन का भी तू अरे अभ्यस्त हो ले
निकलते हैं शूल अब तो आम बोकर
मीत ही अब मुँह छुपा कर वार करते
कुछ सबक ले
और मेरी जिंदगी
१ जुलाई २०२२
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